पायलट शुभांशु शुक्ला को ISS क्यों भेजा गया था?

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (सोर्स - सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारतीय पायलट शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के लिए 25 जून 2025 को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स (SpaceX) के फाल्कन-9 रॉकेट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा गया था। 14 दिनों के लिए गए इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के साथ ड्रैगन कैप्सूल में मिशन विशेषज्ञ हंगरी के टिबोर कापू, अमेरिकी कमांडर पैगी व्हिटसन, और मिशन स्पेशलिस्ट पोलैंड के स्लावोज उज्जान्सकी-विज्निएव्स्की मौजूद थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को ISS भेजा गया था। 26 जून 2025 को शुभांशु शुक्ला और अन्य तीनों साथी भारतीय समय अनुसार 16:01 बजे सुरक्षित ISS पहुंच गए थे।

दरअसल, एक्सिओम-4 मिशन को अमेरिकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक्सिओम स्पेस के द्वारा संचालित किया गया था। इस कंपनी को 2016 में स्थापित किया गया था, जिसका लक्ष्य 2020 तक एक अपना आधुनिक वाणिज्यिक (व्यावसायिक) स्पेस स्टेशन तैयार करना था। एक्सिओम स्पेस अप्रैल 2022 में 17 दिनों के लिए एक्सिओम 1 मिशन के तहत अपने कॉमर्शियल अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा (ORBIT) में भेजा था। मिशन 2 को मई 2023 और मिशन 3 को जनवरी 2024 में क्रमश: 8 और 18 दिनों के लिए भेजा था। एक्सिओम स्पेस के एक्सिओम-4 मिशन को अमेरिकी स्पेस कंपनी नासा के सहयोग से ISS भेजा गया था। एक्सिओम 4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष ने नई टेक्नोलॉजियों के बारे में जानकारी जुटाना और रिसर्च करना था। अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला के द्वारा 14 दिनों तक किया गया प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मिशन में उपयोग हो सकता है।

शुभांशु शुक्ला को ISS क्यों भेजा गया था?

शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर से है। उन्होंने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से स्कूलिंग की थी, NDA की परीक्षा पास कर UG कंपलिट किए, फिर भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट स्कूल से फ्लाइट टेस्ट कोर्स किया था, और टैक्टिक्स एंड कॉम्बैट डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (TACDE) स्कूल ग्वालीयर से फाइटर कॉम्बैट लीडर कोर्स क्लियर किया था, यह संस्था उन्नत युद्ध प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। 17 जून 2006 में शुभांशु शुक्ला भारतीय एयरफोर्स IAF में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए थे।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (सोर्स - सोशल मीडिया)

दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वर्ष 2027 में "गगनयान मिशन" लांच करने वाला है। गगनयान मिशन के लिए ISRO ने वर्ष 2019 में शुभांशु शुक्ला का चयन किया था। शुभांशु शुक्ला के पास 2 हजार से ज्यादा घंटे तक फाइटर फ्लाइट उड़ाने का अनुभव है। शुभांशु 2019 से 2021 के बीच रुस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अभ्यास किया था, फिर ISRO में कई आधुनिक ट्रेनिंग लिया था। शुभांशु शुक्ला ने ISS में कई बायोलॉजिकल रिसर्च किया था, जो अंतरिक्ष में मानव जीवन स्थापित करने और अन्य जीवों से संबंधित अध्ययन करना था। मार्च 2024 में शुभांशु को भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के पद पर प्रोमोट कर दिया गया था।

सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 जैसे कई लड़ाकू विमानों को उड़ाने का अनुभव है। "भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान" में चयनित होने के लिए तीन अतिरिक्त पायलट ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कष्णन, और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने भी भाग लिया था। लेकिन, इसरो ने गगनयान मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला का चयन किया। ISS पर शुभांशु शुक्ला के द्वारा किए गए प्रतिभाशाली शोद्ध और रिसर्च में प्राप्त अनुभव गगनयान मिशन में एक अहम भूमिका लाएगा, इसलिए शुभांशु शुक्ला को ISS भेजा गया है।

गगनयान मिशन क्या है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) के द्वारा "गगनयान मिशन" के तहत 2027 तक इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य रखा गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत वाली इस मिशन को 2025 तक लांच कर देने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, तैयारी पूरी नहीं होने कि वजह से इसे स्थगित कर दिया गया है। गगनयान मिशन सफल हुआ तो भारत मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने वाला अमेरिका, चीन, और सोवियत यूनियन के बाद चौथा देश बन जाएगा।

गगनयान मिशन एस्ट्रोनॉट
गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्री (सोर्स - सोशल मीडिया)

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को दिल्ली में लाल किला पर भाषण के दौरान गगनयान मिशन का ऐलान किया था। 3 दिन के गगनयान मिशन के तहत गगनयान को धरती से 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी के निचले कक्षा में भेजा जाएगा और वापस क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित समुद्र में लैंड कराया जाएगा।

  • इस मिशन में कुल 3 उड़ाने पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजी जाएगी। इनमें दो मानव रहित उड़ानें होंगे और एक उड़ान इंसानों को साथ लेकर की जाएगी।

1 - पहला मानव रहित मिशन के तहत साइंटिफिक रिसर्च और डेवलपमेंट से संबंधित क्रिया होगा। जिससे देश की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।

2 - दुसरा भी मानव रहित होगा, और यह इसरो के आधुनिक टेक्नोलॉजी के महत्व के साथ-साथ उसके विशेषज्ञता को भी दर्शाएगा।

3 - तीसरा पूरी तरह से चालक दल वाला मिशन होगा।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी का चक्कर लगाने वाला एक यान है। इसमें अंतरिक्ष यात्री रहते हैं और यह 28000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से धरती का चक्कर लगाता है। ISS को पांच स्पेस एजेंसी अमेरिका का नासा, यूरोप का ESA जापान का JAXA, रूस का ROSKOSMOS, और कनाडा का CSA ने मिलकर बनाया है। 24 घंटे में ISS पृथ्वी का 16 चक्कर लगाता है।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (सोर्स - सोशल मीडिया)

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
ISS की फोटो (सोर्स - सोशल मीडिया)

ISS में क्वार्टर और एक जिम बना हुआ है। ISS सिर्फ 90 मीनट में धरती का एक परिक्रमा पुरा कर लेता है। वहां एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं। 2001 के बाद से ISS में नियमित रूप से अंतरिक्ष यात्री रह रहें है। अंतरिक्ष यात्री के द्वारा ISS को अपग्रेड रखने के लिए पुरा ध्यान दिया जाता है।

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