केदारनाथ रोपवे; 9 घंटे की दूरी सिर्फ 40 मिनट तय होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केदारनाथ रोपवे के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गया है। केंद्रीय कैबिनेट (मंत्रिमंडल) की बैठक में समिति ने केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना के निर्माण को हरी झंडी दे दिया है। संभवत अक्टूबर 2025 में दोनों परियोजना का निर्माण कार्य शुरु कर दिया जाएगा।

पहला रोपवे प्रोजेक्ट - उत्तराखंड के सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच 12.9 किलोमीटर लंबा रोपवे परियोजना को लगभग 4081 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा।

दुसरा रोपवे प्रोजेक्ट - हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई लगभग 12.4 किलोमीटर है। इसमें गोविंदघाट से हेमकुंड तक रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इसे लगभग 2730 करोड़ की लागत से बनाई जाएगी।

केदारनाथ और हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी।
केदारनाथ और हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से मिली मंजूरी (सोर्स - सोशल मीडिया)


केदारनाथ रोपवे से क्या सुविधा होगा?

केदारनाथ रोपवे का निर्माण हाईटेक टेक्नोलॉजी के आधार पर किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को ऐसे डिजाइन किया जाएगा, ताकि हर रोज लगभग 18 हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम का दर्शन कर सके।

केदारनाथ रोपवे बन जाने के बाद, तीर्थयात्री सिर्फ 40 मिनट में केदारनाथ का दर्शन करेंगे। अभी दर्शन करने में 8 से 9 घंटे का समय लगता है। यह पर्यावरण के अनुकूल होगा और तीव्र कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।


केदारनाथ रोपवे से क्या फायदा होगा?

उत्तराखंड के चमोली जिला में हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट मैदानी स्तर से लगभग 15 हजार फीट की ऊंचाई पर तैयार होने जा रहा है। इसे खास तरीके से डिजाइन किया जाएगा, जिससे प्रति घंटा प्रति दिशा लगभग 1100 श्रद्धालुओं को दर्शन स्थल पहुंचाया जाएगा।

हेमकुंड साहिब में एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। इस गुरुद्वारे को मई से सितंबर महीने के बीच खोला जाता है। हर साल यहां लगभग 2 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। रोपवे बन जाने के बाद श्रद्धालुओं का भीड़ और ज्यादा बढ़ेगा।


कठिन यात्रा से मिलेगी राहत।

केदारनाथ पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करना होता है। मौजूदा समय में श्रद्धालु हेलीकॉप्टर, पालकी, और पैदल यात्रा करते हैं। रोपवे बन जाने से भक्तों को दर्शन करने में काफी राहत मिलेगा

समुद्र तट से 12 हजार फुट की उँचाई पर स्थित यह स्थल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। अभी अक्षय तृतीया से दिपावली तक लगभग 6 से 7 महीने तक कपाट खुले रहते हैं। हर साल लगभग 20 लाख भक्त दर्शन करते हैं।


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