देश का पहला हाई स्पीड रेल कॉरिडोर 2028 तक होगा तैयार

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की तस्वीर
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट (सोर्स - NHSRCL)

मुंबई-अहमदाबादभारत का पहला हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (National High Speed Rail Corporation Limited) के द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस कॉरिडोर को जापान की शिंकानसेन तकनीक का इस्तेमाल कर तैयार किया जा रहा है। शिंकानसेन जापान का उच्च गति वाला रेल लाइन नेटवर्क है। 509 किलोमीटर लम्बा मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को 2028 के अंत तक तैयार करने का लक्ष्य है।

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनने के बाद देश का पहला "बुलेट ट्रेन" मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलाया जाएगा। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल लाइन पर अधिकतम 320 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से बुलेट ट्रेन दौड़ेगी। इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के निर्माण में शिंकानसेन के रोलिंग स्टॉक और सिंग्नलिंग के अलावा अन्य कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस परियोजना में मेक इन इंडिया प्रणाली की अवधारणा का भी प्रयोग किया जा रहा है।


हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना में जापान का निवेश

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के निर्माण के लिए कुल स्वीकृत धनराशि का लगभग 81 प्रतिशत जापान दे रहा है। जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (Japan International Cooperation Agency) 0.1 प्रतिशत की लोन पर 50 साल के लिए निवेश कर रहा है। भारत का पहला हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना का अनुमानित लागत 1.1 लाख करोड़ है, जिसमें 88,087 करोड़ यानी 81 प्रतिशत JICA दे रही हैं। वहीं, लागत का 19 प्रतिशत महाराष्ट्र और गुजरात सरकार दे रही हैं।

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड एलिवेटेड रेल कॉरिडोर
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड एलिवेटेड रेल कॉरिडोर (सोर्स - NHSRCL)

भूमि अधिग्रहण से बचने के लिए कॉरिडोर का अधिकांश भाग एलिवेटेड बनाया जा रहा है। एलिवेटेड लाइन बनाने के निर्णय से प्रोजेक्ट की लागत में अतिरिक्त 10 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।


    हाई स्पीड रेल लाइन परियोजना में तकनीक का इस्तेमाल

    भारत का सबसे आधुनिक, तेज और सबसे उन्नत आधारभूत संरचना वाला मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना को दिल्ली, मुंबई, गुजरात और जापान के इंजीनियरों के द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में फुल स्पैन लांचिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें 40 मीटर लंबा और 970 मिट्रीक टन वजन का गर्डर एक बार में लांच किया जाता है।

    इस प्रोजेक्ट में जापान के J-स्लैब टेक्नोलॉजी ट्रैक पर आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें रेल फीडर कार और ट्रैक स्लैब लेइंग कार के माध्यम से ट्रैक बिछाया जा रहा है। फ्लैश बट वेल्डिंग मशीन से रेलों को जोड़ा जा रहा है, और CAM इंजेक्शन कार के माध्यम से ट्रैक की मजबूती सुनिश्चित की जा रही है।

    ट्रेन के संचालन के दौरान उत्पन्न होने वाले शोर को रोकने के लिए नॉइज बैरियर्स का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे ट्रेन में सफर करने वाले यात्री शांति से ट्रैवल करेंगे, और कॉरिडोर के आसपास के लोगों को भी ध्वनि प्रदूषण से राहत मिलेगी। संपूर्ण प्रोजेक्ट पर ओवरहेड एक्विपमेंट की सहायता से बिजली पहुंचाई जाएगी, जो ऊर्जा कुशल और पर्यावरण अनुकूल है।

    इस प्रोजेक्ट में नीचे दी गई निम्नलिखित आधुनिक प्रणालियों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सूरत के ट्रैक ट्रेनिंग फैसिलिटी में भारतीय इंजीनियरों को जापान के (JARTS) संस्थान द्वारा बेहतर प्रशिक्षण दी जा रही है।

    पहला - भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली। यह भूकंप के आने की सूचना पूर्व में निर्धारित कर देता है।

    दूसरा - वर्षा निगरानी प्रणाली।

    तीसरा - हवा की स्पीड निगरानी प्रणाली।

    "मेक इन इंडिया" प्रणाली के तहत इस प्रोजेक्ट में 28 स्टील ब्रिज का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसकी लंबाई 60 से 130 मीटर के बीच है। 25 ब्रिज का इस्तेमाल नदियों के ऊपर किया जा रहा है। 8 टनल पहाड़ों के अंदर बनाया जा रहा है, जिसमें 7 टनल महाराष्ट्र के पालघर जिला में और 1 गुजरात के वलसार जिला में बनाया जा रहा है। इस ब्रिज का निर्माण देश के 6 वर्कशॉप में किया जा रहा है।


    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का रूट मैप

    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर मुंबई, ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, विलिमोरा, सूरत, भरुच, वडोदरा, आनंद, और अहमदाबाद के रास्ते गुजरात के साबरमती तक जाएगी। जनवरी 2014 में JICA के अधिकारी बातचीत के लिए मुंबई आए थे। 21 जनवरी को भारतीय रेलवे और JICA के अधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। बैठक के दौरान परियोजना में बदलाव को लेकर कई प्रस्ताव रखे गए थे। लेकिन, मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NHSRCL के अध्यक्ष के साथ बैठक में परियोजना को मंजूरी दे दिए।

    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के टनल की तस्वीर
    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के टनल की तस्वीर और प्रोजेक्ट में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इंजीनियर (सोर्स - NHSRCL)

    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में 460.03 किलोमीटर लम्बा एलिवेटेड पुल, 25.87 किलोमीटर लम्बा सुरंग, 12.9 किलोमीटर लम्बा कट-एंड-फिल, और 9.22 किलोमीटर लम्बा पुल शामिल है। 21 किलोमीटर लंबा अंडरग्राउंड सुरंग ठाणे से विरार के बीच मौजूद है, जिसमें 7 किलोमीटर समुद्र के अंदर है। यह 7 किलोमीटर लंबा सुरंग भारत का पहला सुरंग होगा जो समुद्र के नीचे होगा।


    हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना का लाभ

    मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना भारत को नई गति और आधुनिक दिशा प्रदान करेगा, जिससे समय की बचत होगी और देश तेजी से आगे बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, सूरत टेक्सटाइल के लिए जाना जाता है; इस परियोजना के तहत लोगों का सूरत से जुड़ाव बढ़ेगा, जिसका लाभ वहां के व्यापारियों को मिलेगा। व्यापार बढ़ेगा और देश आगे बढ़ेगा।


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