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अरब सागर में 25 डिग्री असंतुलित हुआ लाइबेरिया का कार्गो जहाज (सोर्स-सोशल मीडिया) |
कोच्चि: केरल में 640 कंटेनर्स से भरा MSC एल्सा 3 जहाज समुद्र में डूब गया है। कोच्चि बंदरगाह के करीब लाइबेरिया का कार्गो शिप MSC एल्सा 3 कैल्शियम कार्बाइड, डीजल, फर्नेस ऑयल और अन्य कई खतरनाक केमिकल्स से भरे कंटेनर्स के साथ समुद्र में डूब गया है। वहीं, कार्गो जहाज पर कुल 24 लोग सवार थे, जिन्हें भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) ने सुरक्षित बचा लिया है।
दरअसल, 23 मई 2025 को लाइबेरियाई कार्गो जहाज MSC एल्सा 3 केरल के विझिंजम पोर्ट (बंदरगाह) से कोच्चि बंदरगाह के लिए रवाना हुआ था। 24 मई को दोपहर करीब 1 बजे कार्गो शिप केरल के कोच्चि पोर्ट के तट से लगभग 70 किलोमीटर पहले दक्षिण-पश्चिम अरब सागर में मौजूद था। कुछ देर बाद जहाज का राइट वाला हिस्सा 25 डिग्री झुक गया, शिप के एक तरफ झुकाव होने से जहाज असंतुलित हो गया था।
कैप्टन इवानोव एलेक्जेंडर ने कार्गो शिप के असंतुलित होने की सूचना ICG को दी। ICG ने तुरंत डोर्नियर विमान को हवाई निगरानी, अर्नवेश शिप, और व्यापारिक शिप MV Han Yi और MSC Silver 2 को बचाव के लिए भेजा। ICG ने 24 मई की शाम तक 21 क्रू मेंबर्स और INS सुजाता ने देर रात तक कैप्टन, चीफ इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर जो जहाज के जल्द डूबने का बचाव कर रहे थे, उन्हें भी सुरक्षित बचा लिया। लेकिन, 25 मई की सुबह 8 बजे कार्गो जहाज पूरी तरह से डूब गया।
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ICG ने 21 क्रू मेंबर्स (दाई) और INS सुजाता ने कैप्टन, चीफ एवं असिस्टेंट इंजीनियर को बचाया (सोर्स - सोशल मीडिया) |
केरल के बंदरगाह मंत्री वीएन वासवन ने कहा कि तेज हवा, लहर या गलत लोडिंग की वजह से यह हादसा हुआ है, जबकि ICG का कहना है कि पानी भरने से जहाज डूबा।
लाइबेरिया के कार्गो जहाज पर लोड कंटेनर्स में क्या था?
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, शिप पर कुल 640 कंटेनर्स थे, जिनमें से 12 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड, 13 में जहरीले केमिकल्स, 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल था। 1 किलोग्राम कैल्शियम कार्बाइड से निकलने वाली एसिटिलीन गैस सिर्फ 2 दिन में लगभग 100 किलोग्राम आम या केला को पकाने की क्षमता रखती है। ऐसे में 12 कंटेनर्स समुद्र के पानी को कैसे प्रभावित करेंगे?
हादसे के बाद भारत और केरल सरकार को क्या चुनौती मिली?
इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशियन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (INCOIS) के अनुसार, कंटेनरों के खोज के लिए बचाव सहायता उपकरणों को सक्रिय कर दिया गया था। इसके अलावा तेल रिसाव पर निगरानी रखने के लिए सिमुलेशन को शुरू किया गया था। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने केरल के सभी तटीय इलाकों में इमरजेंसी लगा दी थी। बंदरगाहों से आम लोगों और मछुआरों को दूर रहने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, कुछ कंटेनर्स समुद्र की लहर में बहकर तटों पर पहुंच गए थे।
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समुद्र के तट पर बहकर पहुंचा कंटेनर्स (सोर्स-सोशल मीडिया) |
लाइबेरियाई कार्गो शिप MSC एल्सा 3 क्या है?
लाइबेरिया का एल्सा 3 कार्गो जहाज का निर्माण दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी MSC (Mediterranean Shipping Company) यानी भूमध्य माल-प्रेषण कंपनी के नेतृत्व में होती है। यह एक ग्लोबल कंटेनर शिपिंग कंपनी है। कार्गो शिप MSC एल्सा 3 को वर्ष 1997 में बनाया गया था। इस जहाज की लंबाई 183 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर है, यानी यह दो फुटबॉल ग्राउंड जितना बड़ा है। इस कार्गो शिप का आखिरी निरीक्षण 19 नवंबर 2024 को मैंगलोर में किया गया था, तब इसमें 5 कमियां पाई गई थीं।
कंटेनर्स में रखा केमिकल्स कितना खतरनाक है?
लाइबेरियाई MSC एल्सा 3 कार्गो जहाज में तीन खतरनाक केमिकल्स, कैल्शियम कार्बाइड, मरीन गैस ऑयल और फर्नेस ऑयल मौजूद थे।
पहला - 12 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) मौजूद था। यह एक केमिकल कम्पाउंड है जो पानी के साथ प्रतिक्रिया करने पर एसीटिलीन (C₂H₂) और कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड (Ca(OH)₂) गैस का निर्माण करता है। एसीटिलीन अत्यधिक ज्वलनशील गैस होती है जो उच्च सांद्रता पर विस्फोट कर सकती है। अगर कंटेनर्स में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड पानी के साथ प्रतिक्रिया करता है तो तीव्रता के साथ एसीटिलीन गैस बनेगा और हाई सांद्रता पर समुद्र में विस्फोट होगा। वहीं, कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड पानी के PH को अधिक करता है, जिससे समुद्र का इकोसिस्टम बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से मछलियों एवं अन्य पानी में रहने वाले जीवों का जीवन खत्म हो सकता है।
दुसरा - कार्गो शिप में लगभग 85 मीट्रिक टन मरीन गैस ऑयल, यानी डीजल, था। यह हाइड्रोकार्बन से बना होता है जिसमें एल्केन और एरोमैटिक कम्पाउंड होते हैं। डीजल पानी के सतह पर तैरता है और एक पतली परत तैयार करता है। यह परत सूर्य की किरणों और ऑक्सीजन को पानी के अंदर प्रवेश नहीं करने देती है। इसी वजह से समुद्र में रहने वाले जीवों का जीवन खतरे में होता है।
तीसरा - फर्नेस ऑयल जो जहाजों के इंजन में इस्तेमाल किया जाता है। यह डीजल से ज्यादा गाढ़ा होता है, यह हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होता है, और इसमें सल्फर की मात्रा कम होती है। इसमें भारी धातु जैसे कि निकल और वैनेडियम होते हैं, जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, जिससे समुद्र में रहने वाले जीवों, पौधों और मछलियों इत्यादि का अत्यंत नुकसान होता है।
अगर ये सभी जहरीले पदार्थ समुद्र में मिल जाएं, तो बड़ी संख्या में समुद्री जीवों की मौत होगी। समुद्र के इकोलॉजी को नुकसान पहुंचेगा, जिसका असर इंसान की कमाई और सेहत पर पड़ेगा।
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